मंगलवार, 12 जनवरी 2021

मिल गया चुनांव को राशन

बस रँगते जाओ 
अपनी सोच ,
अपने कर्म , 
अपनी नाक़ामियाँ, 
अपनी अयोग्यता 
और 
दृष्टिहीनता 
और 
उसके नीचे सुलगाते जाओ 
आग नफरत की , 
दंगो की ,चीखों की ।
बस हो गया शासन 
और 
मिल गया चुनांव को राशन 
रंग ही लोकतन्त्र ,
रंग ही संविधान
रंग ही इंसानियत
रंग ही रोटी 
रंग ही कपड़ा 
और 
रंग ही मकान 
और क्या ?

2 टिप्‍पणियां :