ईश्वर और कोई नहीं
प्रकृति ही ईश्वर है
हमने पत्थरों, पेड़ों और
पशुओं की पूजा की
जिससे हम डरे उसकी पूजा की
बाद में लोगों को डराने के लिए
गढ़ने लगे अपने-अपने ईश्वर
वह बन गया हमारा हथियार
अधिकार और व्यापार
कूटरचित माताओं और बाबाओं के
वेश में फैल गया ईश्वर
पाखंडियों ने स्वार्थ में
गली-गली बैठा दिये ईश्वर
धर्म के ठेकेदारों ने निकाल दिए रास्ते
पाप करो और बहती गंगा में हाथ धो लो
बुरा करो और मानस-पाठ करा लो
कहते हैं पाप बढ़ेगा तो जन्म लेगा ईश्वर
पर आज के पापियों से डरकर
कहीं छिप गया है ईश्वर
हमने काट डाले जंगल
कुपित है प्रकृति
मंदिर-मस्जिद छोड़ो
प्रकृति को बचाओ
ईश्वर अल्ला से नाता तोड़ो
बचने के ठिकाने बनाओ
बन सको तो भगीरथ बनो
नदियों को बचाओ
पहाड़ों, जंगलों को बचाओ
आओ, आक्सीजन बढ़ाओ
जानें बचाओ
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