रविवार, 25 जुलाई 2021

हम कुम्भकर्ण है

लोकतंत्र खत्म हो जाये
हमको क्या 
संविधान खत्म हो जाये
हमको क्या  
तानाशाही आ जाये
हमको क्या 
जुबान सिल दिया जाये
हमको क्या 
हम भारत है 
पहले भी गुलाम हो गए
क्या फर्क पडा 
आज़ादी के लिए जो लड़े मरे
हमको क्या 
हमे बस थोडा सा खाना
थोडे से कपडे 
और 
एक कमरा मिल जाये 
और 
हम टीवी देखते खाते
सोते उसी मे दफन हो जाये
अभी हम सो रहे है
आवाज देकर 
जगावो मत हमे
हम इन्सांन नही कुम्भकर्ण है  ।

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