रविवार, 17 अक्तूबर 2021

मुल्क को बस सताए जा रहे है

बाते बस बाते बनाये जा रहे है

सभी को बस सताए जा रहे है

जहन्नुम जिंदगी को कर दिया है 

बेशरम    मुस्कराये   जा रहे है

वादे क्या किये थे तब सभी से

अब  जुमले   बताये  जा रहे है

कोविड से तो लाखो मर गये थे  

ये  तो भाषण सुनाये जा रहे है 

लाखो मजदूर निकले थे घरो से 

उन पर डंडा बजाये जा रहे है 

चेहरे पर शिकन इनके कहा है 

मौत के वजहें  गिनाये जा रहे है

गांधी को रोशनी दुनिया ने माना

ये गोडसे को चमकाए जा रहे है ।

 

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