रविवार, 7 नवंबर 2021

गोवर्धन और कृष्ण

कृष्ण ने उठाया था गोवर्धन
बचाने को उन लोगो को 
जिनको खड़ा कर दिया था 
सबसे बडी सत्ता के खिलाफ 
बस यही तो कहा था कृष्ण ने 
कि 
उसे क्यो भोग लगाते हो 
जो खाता ही नही है 
जिसे भूख ही नही है 
और 
उदर भी नही है 
केवल वास लेता है वो 
उसे खिलाओ 
जिसे भूख है 
जिसे जरूरत है
लाओ मुझे खिलाओ 
मैं खाऊंगा 
कितना कमजोर था देवत्व 
की 
तुरन्त हिल जाता था उनका आसन 
और 
कितना क्रोध भरा था इनमें 
कैसे और क्यो देवता माने इन्हें
जो सहज इंसान भी नही 
बरसा दिया क्रोध 
उन सभी पंर 
जिन्हें खड़ा किया था कृष्ण ने 
सत्य के साथ 
पर 
कृष्ण भी तो कृष्ण थे 
प्रेम किया तो खूब किया 
राजनीति किया तो खूब किया 
युध्द भी खूब करवाया 
खूब मरवाया
और 
खूब बचाया 
खड़े हो गए यहाँ भी कृष्ण 
अपनो के साथ 
और 
उठा लिया गोवर्धन 
अपनी छोटी सी उंगली पर 
वो छोटी सी उंगली 
और 
उतना बड़ा पहाड़ 
कैसे टिक पाया होगा 
और 
कैसे उठाया होगा 
कितनी दुखी होगी 
उनकी उंगली 
शायद आज भी दर्द 
हो रही वो उंगली 
पर 
असम्भव को संभव करने का नाम 
ही 
कृष्ण है शायद 
लगता है 
की वो पहाड़ नही 
बल्कि पुरुसार्थ रहा होगा 
संकल्प रहा होगा 
इरादा रहा होगा 
और 
अडिगता रही होगी 
और 
आंख में आंख डाल कर 
खड़े हो गए होंगे कृष्ण 
सबसे आगे 
उंगली उठाकर चुनौती देते हुए 
और 
उनके संकल्प के सामने 
नही टिक पाया होगा 
इतना उथला से इंद्र
और 
भाग खड़ा हुआ होगा 
खूब तालियां बजी होंगी 
नाचे होंगे लोग 
कृष्ण को उठा कर कंधे पर 
गोपिया रीझ गयी होंगी कितनी 
और 
देख रही होंगी कनंखियो से 
कृष्ण को 
कृष्ण ने भी जरूर देखा होगा 
अठखेलियाँ 
और 
मंद मंद मुस्कराए होंगे कृष्ण 
पर 
कृष तुम कितने लंबे विश्राम पर हो 
या 
अपने गुण , अपनी जिम्मेदारी 
भूल गयो हो 
देखो 
कितने नकली देव 
क्या क्या जुल्म कर रहे है 
तुम्हारे लोगों पर 
तुम्हारी गोपिकाओं 
तुम्हारे बच्चो से 
क्या क्या सलूक हो रहा है कृष्ण 
तुम इतने बेदर्द तो नही हो सकते 
की 
लोगो का दर्द ही भूल जाओ 
आ जाओ न कृष्ण 
भारत ही नही दुनिया को 
एक और महाभारत की जरूरत है 
और 
जरूरत हैं 
आज के संदर्भ में 
एक नए ज्ञान और उपदेश की 
कब आवोगे कृष्ण 
और 
ये महापर्वत कब उठावोगे 
अपने इरादे और न्याय की 
उंगली पर ।
आओ न कृष्ण , अब उठ जाओ 
आ भी जाओ न कृष्ण ।

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें