सोमवार, 27 मार्च 2023

सूरज कल खुद ही मुस्करायेगा ।

सूरज कल खुद ही मुस्करायेगा ।

चलो हँसते है 
अपनी बेबसी पर 
किसी की सिसकियो पर 
चलो हसते है 
किसी की मौत पर 
किसी की बर्बादियो पर 
चलो हसते है 
उस बेटी की लूटी आबरू  पर 
उस माँ के गये सहारे पर 
चलो हँसते है 
उस बेवा के रूदन पर 
बहन की सूनी कलाईयो  पर 
चलो हसते है 
पथराई आंखो पर पिता की 
बच्चों के अंधेरे  मुस्तकबिल पर 
क्योकी हंसना ही जिंदगी है ।
यही गर फ़लसफ़ा है जिंदगी का 
तो ऐसे फलसफे को गर्त कर दो 
उठ सको तो उठो
चल सको तो चलो 
वर्ना घर से ही हुंकार भरो 
हर बेबसी और हर रूदन पर 
हर जुल्म पर जो ढाये जा रहे हो 
और हर कफन पर जो यूँ ही पहनाए जा रहे हो ।
अगर इन्सान हो तो उट्ठो 
हर गली से हर खेत और खलिहान से उट्ठो 
मुट्ठियाँ बांध लो और चल पडो 
बस 
जुल्म खुद ब खुद मिट जायेगा
अंधेरा खुद ब खुद छट जायेगा 
सूरज कल खुद ही मुस्करायेगा ।

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें