शुक्रवार, 17 मार्च 2023

आँखो में नाखून

मेरी कविता 

आँखो में नाखून 

औरत को देखते ही 
आँखो में नाखून उगना कब से शुरू हुआ 
जब हम असभ्य और नंगे थे
या जब सभ्य हो गए 
और कपड़े पहनने लगे 
औरत को देखते ही 
उसे घायल कर देने के प्रवृति कब से आयी 
जब हमारे पास शब्द नहीं थे 
या जब भाषा गढ़ ली गयी 
औरत को देखते जी 
उसकी काया में प्रवेश कर जाने की उत्कंठा 
कब से हिलोरे लेने लगी 
जब हम कुछ नहीं जानते थे 
या जब गढ़ लिया था ईश्वर हमने 
औरत को अकेले पाते ही 
उसपर आक्रमण कर विजय पाने की इच्छा 
कब से बलवती हो गयी और कैसे 
किसी हिंसक पशु को देखकर 
या इंसान में ही पटकाया प्रवेश हो गया था 
हिंसक पशु का 
हिंसक पशु का इलाज तो पिंजरा है या मौत 
पर इनका ? 

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