मेरी कविता
आँखो में नाखून
औरत को देखते ही
आँखो में नाखून उगना कब से शुरू हुआ
जब हम असभ्य और नंगे थे
या जब सभ्य हो गए
और कपड़े पहनने लगे
औरत को देखते ही
उसे घायल कर देने के प्रवृति कब से आयी
जब हमारे पास शब्द नहीं थे
या जब भाषा गढ़ ली गयी
औरत को देखते जी
उसकी काया में प्रवेश कर जाने की उत्कंठा
कब से हिलोरे लेने लगी
जब हम कुछ नहीं जानते थे
या जब गढ़ लिया था ईश्वर हमने
औरत को अकेले पाते ही
उसपर आक्रमण कर विजय पाने की इच्छा
कब से बलवती हो गयी और कैसे
किसी हिंसक पशु को देखकर
या इंसान में ही पटकाया प्रवेश हो गया था
हिंसक पशु का
हिंसक पशु का इलाज तो पिंजरा है या मौत
पर इनका ?
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