बुधवार, 10 मई 2023

मौत और अकेलापन

मेरी कविता ,
इसे केवल कविता समझ कर ही पढे कृपया -

मौत और अकेलापन 
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मौत कितनी 
खूबसूरत चीज होती है 
हो जाता है 
सब कुछ शांत शांत 
गहरी नींद 
तनावमुक्त ,शांत शांत 
न किसी का लेना 
न किसी का देना 
कोई भाव ही नही 
कोई इच्छा ही नही 
न डर ,न भूख ,न छल 
न काम न क्रोध 
बस शांति ही शांति 
विश्राम ही विश्राम
कोई नही दिख रहा 
और सब देख रहे है 
न रोटी की चिंता 
न बेटे और बेटी की 
न घर की चिंता 
न बिजलो और पानी की 
न बैंक की चिंता 
न टैक्स जमा करने की 
न काम की चिंता 
और न किसी छुट्टी की 
न किसी खुशी की चिंता 
न किसी की नाराजगी की 
निर्विकार ,स्थूल 
हल्का हल्का सब कुछ 
देखो 
कितना सपाट हो गया है चेहरा 
कोई पढ़ नही पा रहा कुछ भी
किसी को 
गजब का तेज लग रहा है 
बहुत कुछ है खूबसूरत 
पर मौत से तो कम 
और मुझे तो 
मौत से भी ज्यादा अक्सर
मजेदार लगता है अकेलापन 
सन्नाटा ही सन्नाटा 
कोई आवाज ही नही 
खुद की सांसो के सिवाय 
कोई भी नही खुद के सिवाय 
पंखे के आवाज तो 
कभी कभी फोन की 
और 
हा दब गया रिमोट 
तो टी वी की भी आवाज 
तोड़ देती है सन्नाटा 
और 
झकझोर देती है अकेलेपन को
पर 
गजब का मुकाबला है 
मौत और अकेलेपन का 
हा
एक फर्क तो है दोनो में 
मौत खूबसूरत होती है 
पर अकेलापन बदसूरत 
मौत शांत होती है 
पर अकेलापन 
अंदर से विस्फोटक ।
मौत के बारे में 
लौट कर किसी ने नही बताया 
उसका अनुभव 
पर 
अकेलेपन को तो 
मैं जानता भी हैं 
और पहचानता भी हूँ 
अच्छी तरह ।
मौत का अंत अकेलापन है 
और 
अकेलेपन का अंत मौत । 
इसलिए 
मौत से डरो मत उसे प्यार करो 
अकेलेपन से हो सके तो भागो 
और 
इसे स्वीकारने से इनकार करो ।

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