शुक्रवार, 9 जून 2023

इंसान से अच्छा तो कांच है

इंसान से अच्छा तो कांच है 
जब टूटता है 
तो आवाज तो आती है 
और 
उफ़ निकली है 
किसी की 
कोई दौड़ता है उधर 
कि क्या टूट गया 
आवाज तो थी 
पर किसके टूटने की 
और 
इंसान टूट जाता है 
बुरी तरह 
चूँकि कोई आवाज 
नहीं आती 
तो कोई नहीं दौड़ता 
उसकी तरफ 
उसका टूटना 
उसके चेहरे पर 
उभर आता है 
पर किसके पास है वक्त 
की चेहरे देखता रहे 
और 
रख दे पीठ पर हाथ सहारे को 
और 
सहला दे इतनी गहरी 
चोट को 
हा इंसान से अच्छा 
और 
खुशकिस्मत तो कांच है ।

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