सोमवार, 10 जुलाई 2023

भीड़ और मैं

मैं भीड़ में गुम हो जाना चाहता हूँ 
पर 
भीड़ और मेरे बीच इतनी दूरी है 
कि 
न मेरी आवाज उसे सुनाई पड़ती है 
और न मैं उसे दिखाई पड़ता हूँ 
मुझे भी नही दीखती है वो भीड़ 
बस सुनाई पड़ती है कानो में आवाज़ 
कही दूर से अपुष्ट ,अस्पष्ट 
और 
में ढूढने लगता हूँ उसे पागल जैसे 
पर 
भीड़ ने लगातार दूरी को कायम रखा है 
और मुझे धलेक रही है लगातार 
एकाकीपन की तरफ ।

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