मंगलवार, 25 जुलाई 2023

चलो अब मैं चुप हो जाता हूँ और

चलो अब मैं चुप हो जाता हूँ 
और
भींच लेता हूँ ओठो को 
चाहे खून क्यो न निकल पडे 
कुछ भी हो जाये मेरे सामने 
आंख मूद लूँगा मैं कस कर 
चाहे फिर दुखती रहे देर तक 
या 
दिखना कम क्यो न हो जाये 
कुछ भी हो हत्या अपहरण 
बलत्कार भ्रश्टाचार  
हो जाये चीर हरण व्यव्स्था का 
या आ जाये तानाशाही 
मिटा दिया जाये संविधान 
पर 
मैं कुछ नही लिखूंगा 
कुछ नही बोलूंगा 
बन जाऊंगा मैं शुतुरमुर्ग 
और 
शामिल हो जाऊंगा उन्ही मे 
निकाल कर फेंक दूंगा अपनी रीढ 
दफना दूंगा दिल दिमाग 
और चिंतन ।

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