बुधवार, 8 नवंबर 2023

दिए जलाओ खूब जलाओ



दिए जलाओ खूब जलाओ 
इतने जलाओ कि डूब जाओ 
और भूल जाओ भूख अपनी 
दर्द अपना औ चीख अपनी 
जहां भी मिले जगह कोई भी 
मंदिर कोई या नदी किनारा 
दिए जलाओ खूब जलाओ 
और हर बारी गिनते जाओ 
पिछली बारी जितने जले थे 
उससे ज़्यादा अब जलाओ 
नए नए कीर्तिमान बनाओ 
कैसी ग़रीबी कौन है भूखा 
कैसी बेबसी और बेकारी 
ये सब बाते बेमतलब की 
चकाचौंध में इन्हें भुलाओ 
दिए जलाओ खूब जलाओ 
सीमा पर जो शहीद हुए है 
वो सब है गरीब के बच्चे 
सुरसतिया की लाज लूटी 
या गौहरबानो उठा ली गयी 
पेड़ो पर लटके किसान हो 
या फ़ुटपाथो की आबादी 
इन सबसे तो आँख फेर लो 
धन्नासेठो को चमकाओ 
दिए जलाओ खूब जलाओ 
उसके घर में तेल नही है 
कल दिए से तेल वो लेगा 
और वो है पत्तों पर खाता 
कल दिए वो ले जाएगा 
ये भी तो एहसान बहुत है 
इन एहसानों को छपवाओ 
दिए जलाओ खूब जलाओ 
घर में अंधेरा है लाखो के 
उनको उजाला ख़ुश कर देगा 
पेट में जिनके आग जल रही 
उनके पेटो को भर देगा 
जो क़िस्मत में वही हो रहा 
उन सबको ये पाठ पढ़ाओ 
राम जी अग़ला जन्म बनाए 
ऐसा भाव उनमें  जगाओ 
दिए जलाओ खूब जलाओ ।

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