शनिवार, 11 नवंबर 2023

मेरी दीवाली

मन रही है दीवाली 
हर साल की तरह 
कम होते गए घर से लोग 
अब रह गए हम दो
लोगो के घरो में 
बने है पकवान 
मेरा बेटा भी होटल से 
लाया है पकवान 
लोगो के घरो में 
सजी है रंगोली 
मेरे बेटे ने भी 
कुछ रख दिया है जमीन पर 
लोगो के बच्चे और बड़े भी 
छोड़ रहे है पटाखे 
मैं बिस्तर पर पड़ा 
सुन रहा हूँ आवाजे 
और 
मेरा बेटा बाहर खड़ा 
देख रहा है सबको फोड़ते 
मेरे घर भी आई है मिठाई 
पर 
पता नहीं क्यों 
मिलने आने वालो की तादात 
घट जाती हैं बुरी तरह 
जब किसी पद पर नहीं होता हूँ मैं 
हमने खरीदा है कुम्हार के बनाये 
दिए और लक्ष्मी गणेश 
थोड़ी सी खील और बतासे भी 
ताकि इनको बनाने वालो की 
कुछ मदद हो जाये
और हार न जाये ये 
देश के दुश्मन चीन से 
और मन गयी 
मेरी और मेरे बेटे की भी दीवाली ।

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