गुरुवार, 4 जनवरी 2024

अगर राम जानते होते

राम को याद आ गई अपनी अयोध्या 
और उतर आए हाल चाल लेने 
देखा उन्होंने हलचल , नारो का शोर 
तो पूछ लिया किसी से 
क्या ये अयोध्या ही है 
जवाब मिला हा तो भागने लगे वापस 
पकड़ लिया नारा लगाती भीड़ ने 
पूछने लगे की कौन हो 
और ये बनवासी का वेश क्यों 
क्या किसी और धर्म के हो 
और कोई कांड करने आए हो वेश बदल कर 
राम बोले मैं राम हूं 
जिसका बहुत जोर से मारा लगा रहे हो
पर इतने गुस्से में क्यों हो तुम लोग 
ऐसा तो मेरा महल भी नही था 
जैसा तुम लोग बना रहे हो 
मुझे महल में रहना कहा पसंद
मैं तो बनवास में खुश था 
क्योंकि महल ने दिया बनवास 
और फिर छीन लिया सीता 
पर तुम लोग मेरी प्रतीमा 
इस महल में क्यों लगा रहे हो 
क्यों बहाया खून तुम लोगो ने और किया झगड़ा 
जबकि अयोध्या का तो मतलब ही था 
जहा युद्ध नही हो 
और क्या आडंबर कर रहे हो 
अरे अगर मैं महल में रहा होता 
तो बस होता एक राजा 
लेकिन बनवासी बनके बन गया में राम 
जिसकी कथा सुनते और सुनाते हो
भीड़ उग्र हुई की जरूर ये है कोई पाखंडी 
कोई हिंदू और राम विरोधी 
पर कोई हाथ उठाता
तभी प्रकट हो गए विराट रूप में हनुमान 
और भीड़ भागने लगी 
की ये कैसा विशाल बानर है 
कोई बोला बंदूक लाओ गोली चलाओ
राम बोले की जब तुम मुझे जानते नही हो 
तो व्यर्थ का ये सब आडंबर क्यों 
जब तुम मुझे मानते नही हो 
तो इसने साल झगड़ा क्यों
अगर जानते होते और मानते होते 
तो मेरा मंदिर और मूर्ति नही बनाते
बल्कि मुझे और हनुमान को अपनाते 
तब दंगा नही करते 
बल्कि राम बनने 
और सबको राम बनाने की कोशिश करते 
तब ये तनाव और शोर नही होता 
शोर और क्रोध मुझे पसंद नही है 
जाओ घरों में जाओ और सोचो 
मुझे मंदिर में नही अपने दिल में बैठाओ 
में वही मिलूंगा
अभी तो मैं चलूंगा 
क्योंकि घुटन हो रही है मुझे 
इस नकली राजनीतिक अयोध्या में 
चलो हनुमान 
और चले गए 
अनंत आकाश में राम और हनुमान भी 
चर्चा अब भी यही थी की कोई मायावी था 
बच के निकल गया 
हमारा कारज निस्फल करने आया था 
और साथ में मायावी बंदर भी लाया था 
वही खड़ा 
एक सचमुच का राम और हनुमान भक्त बोला 
अरे मूर्खो जो सच में सामने था 
और खुद को पाने का मार्ग बता रहा था 
तुम उसे दुत्कार रहे हो  
और जो है ही नही उसे सजा संवार रहे हो ।

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