सोमवार, 16 अगस्त 2010

पेरुम्बुतूर की शहादत

पेरुम्बुतूर की शहादत
आज भी समूचे देश को याद है ,लगता है कल की ही तों बात है
यू तों सत्ता के बहुत से नायक जिन्होंने देश की खातिर नाखून भी नही कटवाया
उन पर तथा गाँधी परिवार पर लगातार कीचड डालने की कोशिश की
कौन भूल पायेगा ,वह पल जब देश के गद्दारों के एक धमाके से
टुकड़े टुकड़े हो गए रास्त्रनायक राजीव गांघी के
जिसे कहा गया था दुनिया का सबसे खूबसूरत राजनेता 
उसी को बदसूरती से दुनिया से विदा कर दिया गद्दारों ने
आंसुओ में नहा उठा समूचा देश ,रो पड़ी माताएं ,
विह्वाल चीख में डूब गयी पूरी पीढ़ी, जो भविष्य की आस्था भरी निगाहों से  
राजीव के एक एक सपने का जन्म होते देख रही थी ......
अवाक् पूरा देश था ,परिवार स्तब्ध और मूक
दौड़ पड़े सभी पेरुम्बुतुर की तरफ
उस दिन पेरुम्बुतूर में ............
कातर  प्रियंका ने झुलस गयी एक उंगली को देखा
बोली देखो ना माँ उसी को पकड़ कर मै चलना सीखी
उसी को पकड़ कर मेरे पांव जमीन पर टिक सके
विह्वल राहुल ने दिखाया एक हाथ
बोला माँ यही है वो हाथ जो मुझे गोद में उठाते थे ,झुलाते थे
पापा ने इसी से आसमान की तरफ उछाल कर कहा था
बेटे उतने बड़े हो जाओ पर देश को उसे भी ज्यादा ऊंचाई पर ले जाओ
सोनिया ने देखा एक तरफ पड़ा हुआ सीने का हिस्सा
देखती रही अलपक इस उम्मीद में की शायद अभी दिल धड़क उठेगा
जो धड़कता था मेरे लिए ,बच्चो के लिए और उससे ज्यादा देश के लिए
मन में एक पल के भीतर गुजर गए याद के कई दशक ....
"इस शरीर में देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना थी "
तभी दिखा चेहरा और खुली हुई आँख जो शायद पूछ रही थी
मैंने तुम्हे पास आने दिया नलिनी अपना समझ कर और तुमने ...
मैंने तों किसी का कुछ नही बिगाड़ा था बस की थी कोशिश
देश को दुनिया के साथ या और आगे दौड़ाने की ,उसमे सब आगे होते
उस आँख में इकीसवी सदी के भारत का सपना थरथरा रहा था
व्याकुलता में समेट रहे थे राहुल ,प्रियंका और सोनिया शरीर का एक एक टुकड़ा
ताकि हिन्दुस्तानी परम्परा से एक शहीद का ,पति और पिता का अंतिम संस्कार हो सके .
और वह भविष्य के सपने देखने वाला  खूबसूरत राज नेता विलीन हो गया |

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