मंगलवार, 17 अगस्त 2010

जीवन में आई है एक नई बहार रे ------ [ 3-1 -1983 ]

कल तक जीवन में पतझड़ था कल से जीवन में आई है एक नई बहार रे
कल तक जीवन में बदली थी ,कल से जीवन में आई है एक नई फुहार रे
कल तक थी अंधियारी रातें ,कल थी बस  तीखी  बातें
कल जीवन में था सूनापन कल तक थी कडवी सौगातें
कल तक  जीवन में मिलता था हर तरफ अंगार रे
कल .....................................................................................
कल जीवन में आभा चमकी कल ही तों इक बगिया महकी
कल जीवन में फूल खिला है जीवन में कल खुशियाँ  चहकी
कल से बस अपना बना है  एक नया ही संसार रे 
कल .....................................................................................
अब दुनिया में अपना भी एक आंगन है,  इस आंगन  में आया अपना  सावन है
अब ये जीवन की खुशियाँ सब अपनी है अब अपना जीवन खुशियों का जीवन है 
सूखे जीवन में मिला है अब जा के  एक प्यार रे
कल ........................................................................................
कल जीवन में नई रोशनी  लायेंगे कल जीवन  की बगिया  को  महकाएँगे
कल का अपना जीवन दुनिया देखेगी कल जीवन को खुशियों से चह्कायेंगे
अब जीवन में भरनी खुशियाँ तों अपरम्पार रे
कल तक जीवन में पतझड़ थ कल से जीवन में आई है एक नई बाहर रे .    
                                                             

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