मंगलवार, 17 अगस्त 2010

जयप्रकाश जयप्रकाश रट रट के लोग   यहाँ देश के प्रधान और मंत्री बन आये  थे,
साथ साथ चीखते थे क्रांति क्रांति उनके वे चौहत्तर में क्रांति का शंख जो बजाये थे|
समझी थी जानता कुछ भला करे देश का ये इसीलिए वोट उनको ही डाल आये थे,
पर पता चला की एक सत्ता को हटा के यारो सत्तालोलुपो  की पूरी फ़ौज ले आये थे|

लोकतंत्र लोकतंत्र की तों बात सब करे पर लोकतंत्र का मतलब ना कोई जानता
लोकतंत्र नही ये तों भीडतंत्र है यारो डंडे गोली बिना  यहाँ कोई बात नही मानता
समझे है अर्थ  सब जो चाहे सो  करे चाहे  कोई मारे और  चाहे  कोई  मर जाये
लोकतंत्र वहा नही चल सकता है  देश जो अधिकार   और कर्त्तव्य ना पहचानता

हर वर्ष मनाते हो आजादी दिवस पर अब तक देश में आजादी नही आई है
चारो ओर भूख भ्रस्टाचार बेकारी  यहाँ आजादी पे कैसी बदली  सी छाई है
भरे है गोदाम के गोदाम इस देश के पर फिर भी  कैसे बढ़  रही  महंगाई है
नही तेरी मेरी नौकरशाह व्यापारी नेता इनकी खातिर आजादी चली आई है

जब तक इन्कलाब का स्वर फूटेगा नही  तब तक देश में आजादी नही आएगी
जब तक भ्रष्टाचारियो से पिंड छूटेगा नही तब तक देश में आजादी नही आयेगी
जब तक फसेंगे नही नेता नौकरशाह यहाँ और  व्यापारियों को जेल हो जाएगी
सुनो ये कह रहा हूँ इस देश में यारो  जनता के जागे बिन आजादी नही आएगी

जाति और संप्रदाय का ही बोलबाला यहाँ तब लोकतंत्र भला कैसे रह पायेगा
नेता चुनाव लड़े नीतियों और आदर्शो पर भ्रष्टाचारी पूंजीपति कैसे सह पायेगा
इतना जहर भरा है लोकतंत्र की जड़ो में कोई भी हो कुछ भी नही कर पायेगा
लोकतंत्र  तभी जिन्दा होगा इस देश में  फूट कर जब सब मवाद बह जायेगा 

                       संसद  में  हल्ला  मचाते  है  हम
                       जूते  और  चप्पल  चलते  है हम
                       लाशो पर चल कर आई  आजादी 
                       शहीदों को  कैसे    लजाते  है हम

लिखा वेद शास्त्रों  में आएगी प्रलय कल हमने इसी  के लिए रास्ता बनाया है
नही कही भूख है नही है बेकारी कही सारा पैसा परमाणु भट्ठी में लगाया है
परमाणु बम से ही भूख  मिटाना अब दाया और बांया हाथ इसी में जुटाया है 
दोनों हाथ कल झगडा करे ना कही इसीलिए दोनों को ये झुनझुना थमाया है

झगडा किया जो कल दांये बांये हाथ ने झगड़े में  सारा ही शरीर जल जाना है
मिट गया शरीर तों कल फिर बचेगा क्या किसलिए  इतना सब कुछ जुटाना है 
किसलिए बनाये जा रहे  परमाणु बम जब की पता है किसी काम नही आना है
इन्ही पैसो से मिल सकता उन्हें जीवन जो भूखे नंगे है और ना कोई ठिकाना है

7 टिप्‍पणियां :

  1. स्वागत है आपके इस नये चिट्ठे का।
    सुंदर रचना।

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  2. संसद में हल्ला मचाते है हम
    जूते और चप्पल चलाते है हम
    लाशो पर चल कर आई आजादी
    शहीदों को कैसे लजाते है हम
    सटीक

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  4. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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