बुधवार, 18 अगस्त 2010

खुशिया तों लोगो ने लूट ली दर्द का आचमन मैंने ही लिया

जितना भी लोगो ने उगला है जहर सारा मैंने तों पी लिया
कोढ़ बन गयी मेरी जिंदगी हस हस कर मैंने तों जी लिया 
कैक्टशिया खुशियों में दिन मेरे बीते है
लगता सब हरा भरा  अन्दर से रीते है
सेमल के फूल की खुशबू है तन मन में
कितने खुशनसीब जो मेरी तरह जीते है 
हंसने के उपक्रम से अभिनय तक कुछ पल मैंने तों जी लिया
मीरा ने तों एक दिन विष पी लिया था
पर मै  हर पल ही विष में जी रहा हूँ
लोगो ने तों  मौत के जहर पिए होंगे
पर मै तों जिंदगी का जहर पी रहा हूँ
दर्द ने सीमाए सब तोड़ दी पर ओठो को मैंने तों सी लिया 
तन तों भला चंगा है मन में कैंसरिया गम
हंसने के अभिनय  से नही  छुपा पाते हम
आँख से आंसू नही है खूने जिगर बह रहा 
मौत धोखा दे गई जिंदगी बन गई सितम
खुशिया तों लोगो ने लूट ली दर्द का आचमन मैंने ही लिया

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