वही घर है वही हम है वही सब है मगर हम बेगाने हो गए है
कैसे कुछ भी मांगू आजकल हिम्मत नहीं पड़ती
कुछ कहना चाहता हूँ तों जबान लडखडाती है
चाय अमृत लग रही है और खाना लाजवाब है
जो भी मिल जाये वही जीवन की अजब थाती है
निशाने लोग होते थे हमारे और अब हम ही निशाने हो गए है
हम बड़े हैं हम करेंगे सब, कर्त्तव्य निभाना हमें है
हम तुम्हारे है, तों तुमको आगे बढाना भी हमें है
तुम रुक गए तों अपनी आहुति चढ़ाना भी हमें है
नहीं अच्छा ,जिम्मेदारी हमारी,मर जाना हमें है
नहीं रोते थे ना रो रहे थे अब तों रोने के भी बहाने हो गए है
अपना ही टुकड़ा जो बहुत प्यारा है बहुत अपना है
मेहनत और सलीके से सब कुछ सम्हाल रखा है
पता नहीं क्यों फिर भी बहुत संकोच में रहता हूँ मै
जितना संभव नहीं होता उतना मेरा ख्याल रखा है
मेरा जीवन है दिल है दिमाग सब है पर सब वीराने हो गए है
पहले सब कुछ तय था ऐसा मुझे लगता था
मै जगू ना जगू पर ओ बहुत सुबह जगता था
ओ जगाता मुझको था की चाय आ गई साहब
थकन हो ,निराशा हो और दर्द सब भगता था
अब थकन भी निराशा भी दर्द भी क्या क्या ना जाने हो गए है
अकेला मै बाकी सब अलग कोने में दिखाई देते
बहुत मुश्किल से ही शायद कुछ शब्द सुनाई देते
मेरा कर्त्तव्य है जुड़े रहना और सब पूछते रहना
करना है मुझे सब ठीक बहुत से लोग बधाई देते
ख़ुशी कही की, बधाई कही की,और मै,सब अनजाने हो गए है '
अगर जीवन है तों जीने का बहाना ढूढ़ना होगा
जो कुछ खो गया है ओ अफसाना ढूढ़ना होगा
गर मुर्दा दिल रहे तों मिट जायेंगे वक्त से पहले
कोई घाट या फिर कोई आशियाना ढूढ़ना होगा
दूर इतने आ गए, दर्द इतने भा गए, की दूर आशियाने हो गए है
चलो तलाश करे की जिंदगी हमें कहा मिलेगी
जिंदगी ढकी है घने बदलो में, धूप कहा खिलेगी
फटी है जिंदगी की पूरी की पूरी चादर ओढू कैसे
क्या करू कैसे करू अब ये चादर कहा सीलेगी
सभी अपने है अच्छे,उन सबके अपने अपने ठिकाने हो गए है
वही घर है, वही हम है, वही सब है ,मगर हम बेगाने हो गए है
अपना संसार ,और अपना प्यार था सब अफसाने हो गए है
.कैसे कुछ भी मांगू आजकल हिम्मत नहीं पड़ती
कुछ कहना चाहता हूँ तों जबान लडखडाती है
चाय अमृत लग रही है और खाना लाजवाब है
जो भी मिल जाये वही जीवन की अजब थाती है
निशाने लोग होते थे हमारे और अब हम ही निशाने हो गए है
हम बड़े हैं हम करेंगे सब, कर्त्तव्य निभाना हमें है
हम तुम्हारे है, तों तुमको आगे बढाना भी हमें है
तुम रुक गए तों अपनी आहुति चढ़ाना भी हमें है
नहीं अच्छा ,जिम्मेदारी हमारी,मर जाना हमें है
नहीं रोते थे ना रो रहे थे अब तों रोने के भी बहाने हो गए है
अपना ही टुकड़ा जो बहुत प्यारा है बहुत अपना है
मेहनत और सलीके से सब कुछ सम्हाल रखा है
पता नहीं क्यों फिर भी बहुत संकोच में रहता हूँ मै
जितना संभव नहीं होता उतना मेरा ख्याल रखा है
मेरा जीवन है दिल है दिमाग सब है पर सब वीराने हो गए है
पहले सब कुछ तय था ऐसा मुझे लगता था
मै जगू ना जगू पर ओ बहुत सुबह जगता था
ओ जगाता मुझको था की चाय आ गई साहब
थकन हो ,निराशा हो और दर्द सब भगता था
अब थकन भी निराशा भी दर्द भी क्या क्या ना जाने हो गए है
अकेला मै बाकी सब अलग कोने में दिखाई देते
बहुत मुश्किल से ही शायद कुछ शब्द सुनाई देते
मेरा कर्त्तव्य है जुड़े रहना और सब पूछते रहना
करना है मुझे सब ठीक बहुत से लोग बधाई देते
ख़ुशी कही की, बधाई कही की,और मै,सब अनजाने हो गए है '
अगर जीवन है तों जीने का बहाना ढूढ़ना होगा
जो कुछ खो गया है ओ अफसाना ढूढ़ना होगा
गर मुर्दा दिल रहे तों मिट जायेंगे वक्त से पहले
कोई घाट या फिर कोई आशियाना ढूढ़ना होगा
दूर इतने आ गए, दर्द इतने भा गए, की दूर आशियाने हो गए है
चलो तलाश करे की जिंदगी हमें कहा मिलेगी
जिंदगी ढकी है घने बदलो में, धूप कहा खिलेगी
फटी है जिंदगी की पूरी की पूरी चादर ओढू कैसे
क्या करू कैसे करू अब ये चादर कहा सीलेगी
सभी अपने है अच्छे,उन सबके अपने अपने ठिकाने हो गए है
वही घर है, वही हम है, वही सब है ,मगर हम बेगाने हो गए है
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