वो सदमे में ही रहा होगा शायद
उसने कुछ नहीं कहा होगा शायद
कितना शोर और कितना धुआं था
उसने कुछ देखा सुना होगा शायद
लगी थी हाट सब कुछ बिक रहा था
कुछ छुपा और कुछ दिख रहा था
वे सब आये थे जो सब खरीद लेते है
उनसे कुछ भी ना बचा होगा शायद
जो लोग जीत कर घरो को लौटे है
वहा तों जश्न हो रहा होगा शायद .
उधर वो जो ख़ाली उदास बैठा है
वो मेले में लुट गया होगा शायद
है मेला या दंगा हमारा भ्रम तों नहीं
घर नहीं कही ठहर गया होगा शायद
इससे अच्छा तों अपना पनघट था
ओ फिसलने से डर गया होगा शायद
समंदर तों हमेशा ही इतना गहरा था
किनारे पर धोखा हुआ होगा शायद|
सीख लिया समंदर की सवारी करना
कहा पहुंचोगे ना सोचा होगा शायद .
उसने कुछ नहीं कहा होगा शायद
कितना शोर और कितना धुआं था
उसने कुछ देखा सुना होगा शायद
लगी थी हाट सब कुछ बिक रहा था
कुछ छुपा और कुछ दिख रहा था
वे सब आये थे जो सब खरीद लेते है
उनसे कुछ भी ना बचा होगा शायद
जो लोग जीत कर घरो को लौटे है
वहा तों जश्न हो रहा होगा शायद .
उधर वो जो ख़ाली उदास बैठा है
वो मेले में लुट गया होगा शायद
है मेला या दंगा हमारा भ्रम तों नहीं
घर नहीं कही ठहर गया होगा शायद
इससे अच्छा तों अपना पनघट था
ओ फिसलने से डर गया होगा शायद
समंदर तों हमेशा ही इतना गहरा था
किनारे पर धोखा हुआ होगा शायद|
सीख लिया समंदर की सवारी करना
कहा पहुंचोगे ना सोचा होगा शायद .
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