शनिवार, 16 अप्रैल 2011

और खोज ख़त्म हो जाएगी खुद ही



निस्तब्ध सोच रहा हूँ
क्या ये मै ही हूँ
मै हूँ तो इस कदर मौन क्यों हूँ 
क्या सचमुच मै ही हूँ
या ढूढ़ रहा हूँ खुद को और खुद में ही !
पर ये खोज बहुत मुश्किल है,
खुद के अन्दर खोज पाना खुद को ही ,
पर खुद को ---प्रयास जारी है ,
लगता है अब जाने की बारी है | 
फिर होगा मौन ,मौन और बस मौन 
और खोज ख़त्म हो जाएगी खुद ही |

1 टिप्पणी :

  1. खुद मे खुद को ढूढता हूँ.
    बहुत सुन्दर है.
    आध्यत्मिक अनुभूति

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