गुरुवार, 31 जनवरी 2013

कल रात वो मुझसे मिली सपने में

कल रात वो मुझसे मिली सपने में
दुनिया से जाने के इतने सालो बाद
कुछ नहीं बोली बस देखती रही
टुकुर टुकर मेरी तरफ
आँखे गीली थी
फिर झरना बन गयी 
फिर भी कुछ नहीं बोली
बस निहारती रही मुझे निरीहता से
मुझे बेबस और टूटता देख कर भी
कुछ नहीं कर पाने ,सहारा नहीं दे पाने
प्यार से सहला नहीं पाने की बेबसी से
फिर कातर निगाहों से मुझे देखा और
मुस्कराने की मुश्किल सी कोशिश की
और फिर हाथ हिलाती चली गयी
मै समझ नहीं पाया देख नहीं पाया की
मजबूत होकर रुकने का इशारा था
या फिर बुला गयी, मुझे भी अपने पास ।

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