रविवार, 6 दिसंबर 2015

मेरे घर मे झांक झांक मुझको शर्मिंदा मत करना

मेरे घर में झाँक झाँक मुझको शर्मिंदा मत करना
मैंने खुद को मार दिया मुझको जिन्दा मत करना
देखो फटी है जेब औ डिब्बे खाली है
फ्रिज जैसा कुछ सारे खाने खाली है
भूख लगी जब अपने गम खा लेता हूँ
प्यास लगे तो आँखो में इतना पानी है ।
आँखो में यूँ झांक झांक मुझको शर्मिंदा मत करना
मैंने खुद को मार दिया है मुझको जिन्दा मत करना
हम तो संग चले थे पंख लग गए तुमको ही
मेरे छालो को कब मुड़ कर तुमने देखा ही
तुम दौड़े और तुमने तो आसमान छू लिया
मैं ऐसे गिरा मुझको कोई जमीन मिली ना
मेरे फटे चीथडो में झाँक अब शर्मिंदा मत करना

मैंने खुद को मार दिया                

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