ये दिल्ली ने कहा है
की कलम को तोड़ दे सब
अगर कुछ सोचते है
जो हमसे कुछ अलग है
उस चिंतन को मोड़ दे सब
ये दिल्ली ने कहा है
अब कोई कविता न लिखे
लिख रहे है
तो ऐसा वैसा न लिखे
जो दिल्ली को नहीं अच्छा लगेगा
ये दिल्ली ने कहा है
न कोई फिल्मे बनाये
न ही कोई गीत गए
न नाटक ही दिखाए
जो दिल्ली को न भाये
ये दिल्ली ने कहा है
सूरज पूरब से निकलता
ये औरो ने कहा था
सूरज अब पच्छिम से उगेगा
भारत में रहेंगे तो
पूरब को सब लोग अब
पच्छिम कहेंगे
ये दिल्ली ने कहा है
बदलो से बारिश नहीं होती
मेढक की शादी न हो
तो बारिश हो नहीं सकती
हमारी बात ये सब मांन जाओ
सब मान लो सब शादी कराओ
ये दिल्ली ने कहा है
हमसे पहले कुछ नहीं था
जो किया हमने किया है
ये जमीन आसमान नदिया
हवाए सब हमने दिया है
ये दिल्ली ने कहा है
ये जमीन आसमान नदिया
हवाए सब हमने दिया है
ये दिल्ली ने कहा है
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