यहाँ वहा आज देखो होली हो रही
वहा पे हंसी यहाँ ठिठोली हो रही
तय था होली एक दिन मनाई जाएगी
होली में बुराई सब जलाई जाएँगी
खुशियों से खेलेंगे हम रंग औ गुलाल
गले मिल कर दोस्ती बढाई जाएगी
एक दिन नही अब तों रोज होली है
जी हा आज कि ये नई सोच होली है
होली गुजरात कि कश्मीर कि होली
सड़क हो या रेल बस होली होली है
होली में जलाये भी तों कौन लकड़ियाँ
मिल रही है मुफ्त में तमाम लड़कियां
रेल, बस, घर जलाने का अधिकार है
रोके कौन सबने बंद की है खिड़कियाँ
होली का हुड़दंग हो या लोगो की चीख
यहाँ वहा जो भी मिले पहले उसे खींच
आग में जलादे चाहे खंजर पर उछाल
पानी से नही अब जमी लहू से ही सींच
देखो कही बम तों कही गोली चल रही
चारो ओर खून की बस होली चल रही
हम नहला रहे है अपनी माँ को लहू से
नफ़रत की ही बस यहाँ बोली चल रही
ऐसी होली भारत में और कब तक चलेगी
नफरत की कहानी भला कब तक पलेगी
जले राम का हवेली या रहीम का मकान
इंसानियत की होली ऐसी कब तक जलेगी
आओ ऐसी होली पर विराम लगाये
भाई चारे की कहानी फिर से सुनाये
आओ इंसानी जज्बे को हम जगाये
नफरतो को होली में इस बार जलाये
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