नारी तुम तो देवी पर मंदिर में
नारी तुम तो श्रद्धा हो पर पन्नो में
नारी तुम तो शक्ति हो नवरात्रि में
नारी तुम तो सीता हो रामायण में
नारी तुम तो सावित्री हो
पति के लिए लड़ जाने वाली
ये अलग बात है कोई पति नही लड़ा
पत्नी की खातिर
तुमको खुश रहने को क्या कम है
तुम मंदिर में पूजी जाती
नवरात्रि में घर घर आती
पर नारी तुम क्या हो तुम भी जानती
बर्तन कपड़े चूल्हा पोछा और बिस्तर है
इतना ही संसार तुम्हारा वरना डंडा
जिस दिन द्रोपदी बन केश बांध लोगी तुम
उस दिन हा उस दिन तुम शक्ति हो जावोगी ।
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